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धर्म अधर्म विजय मानवीय धर्म उन्होंने हमें तोड़ना चाहा यशापयश धर्म धर्म क्या है अधर्म पराजित आसमां शुभरात्री बनाया है संकुचित प्रभु ने सांस ने पलंग पे कीर्ति सतत् ही स्नेह मां ने लगाया धर्म की हम ने टूटकर चाहा सुलाया

Hindi धर्म ने Quotes